EPFO Pension New Rule: नियम बदला, जानें अब 30,000 X 30/70 से कितनी होगी आपकी EPFO Pension

EPFO Pension New Rule: हजारों ऐसे कर्मचारी हैं जो पेंशन स्कीम के अंतर्गत फायदा उठाने के योग्य हैं। तथा बहुत सारे ऐसे कर्मचारी हैं जो पेंशन स्कीम के अंतर्गत अपना पेंशन का रिटर्न बढ़ाने का इंतजार कर रहे हैं। कई सालों से यह केस कोर्ट में चल रहा था। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने आखिरकार 4 नवंबर 2020 को ईपीएफओ से जुड़ा वह फैसला सुना ही दिया । सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि उन सारे कर्मचारी जिनकी मासिक सैलरी ₹15000 तक होगी उन्हें नियोक्ता की तरफ से 8.33 प्रतिशत मतलब ₹1250 तक कंट्रीब्यूशन मिलेगा।

EPFO Pension New Rule
EPFO Pension New Rule: नियम बदला, जानें अब 30,000 X 30/70 से कितनी होगी आपकी EPFO Pension

EPFO Pension New Rule

4 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने ईपीएफओ को लेकर एक बड़ा आदेश जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने एंप्लाइज पेंशन अमेंडमेंट स्कीम 2014 को लेकर एक नया आदेश ईपीएफओ ऑफिस के लिए जारी किया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पेंशनेबल सैलरी को 6500 से 15000 कर दिया जाए और साथ ही साथ सुप्रीम कोर्ट ने एंपलॉयर्स को आदेश दिया था कि वह अपने एंपलाई की सैलरी का 8.33 परसेंट उनके ईपीएफओ में कंट्रीब्यूट करें ।

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जैसा कि 2014 के अमेंडमेंट में बताया गया है कि ईपीएस मेंबर्स को 6 महीने मिलते हैं यह निर्धारित करने के लिए कि उन्हें कौन सी स्कीम में पैसे डालने हैं जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 4 महीने और बढ़ा दिया है । इसका मतलब अब ईपीएस मेंबर्स को 10 महीने निर्धारण के लिए मिलेंगे जिसमें वह यह सोच सकते हैं कि उनके लिए कौन सी योजना ज्यादा बेहतर है ।

 साथ ही साथ सुप्रीम कोर्ट ने 2014 के अमेंडमेंट में यह भी बदलाव किया की ,

  • यदि रिटायरमेंट के बाद आप अपने पीएफ खाते में जमा रकम निकालना चाहते हैं तो आप कभी भी निकाल सकते हैं ।
  • साथ ही साथ नौकरी छोड़ने के 2 महीने बाद भी आप इपीएफ की पूरी रकम कभी भी निकाल सकते हैं ।
  • यदि नौकरी छूटने के बाद आप 2 महीने से बेरोजगार हैं तब भी आप ईपीएफ की पूरी राशि निकाल सकते हैं।  
  • मगर आपको काम करने के दौरान अपने ईपीएफ से कुछ हिस्से की राशि को बाहर निकालना है तो कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने 2014 के eps  संशोधन को रद्द कर दिया है जिसमें कि कर्मचारियों के लिए ₹15000 प्रति माह से अधिक वेतन पर

 1. 16%  प्रतिशत का अतिरिक्त योगदान देना अनिवार्य था। यह माना गया कि सदस्यों को योगदान करने की आवश्यकता epf सेलेक्शन से मिली थी जिसके फैसले को अदालत ने 6 महीने के लिए स्थगित रखा है। जिससे ईपीएफओ को सोचने के लिए वक्त मिलेगा की पेंशन के रिटर्न्स में अतिरिक्त योगदान कैसे दिया जाए साथ ही साथ सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि  कर्मचारी तथा कंपनी दोनों ही एंप्लॉय सैलरी का 12- 12% कंट्रीब्यूट करते हैं ।  कर्मचारी का पूरा योगदान इपीएफ अकाउंट में जमा होता है वही कंपनी के योगदान का 8.33% epf खाते में जमा होता है तथा बाकी ईपीएस खाते में जमा होता है ।

अगर कोई कर्मचारी 1 सितंबर 2014 के बाद जिस का वेतन ₹15000 से कम होने की वजह से ही प्लान में शामिल हुआ है तो उसे अधिकतम योगदान का विकल्प नहीं मिलेगा। यह उन्हीं लोगों के लिए है जो 1 सितंबर 2014 को epfo  के सदस्य बने । 

इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के यह सब फैसले कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत बनेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कर्मचारियों का भी ध्यान रखा है तो साथ ही साथ सरकार का भी ध्यान रखा है क्योंकि पेंशन पर रिटर्न बढ़ने से इसका सीधा प्रभाव सरकार के बजट पर जाता है। बढ़ती हुई महंगाई दर को देखते हुए रिटर्न को बढ़ाना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया था जिसका कर्मचारियों ने और सरकार ने खुले दिल से स्वागत किया है।

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