Maternity Leave Increase: अब 9 महीने की मिलेगी Maternity Leave, जानें निति आयोग का क्या है फ़ैसला

Maternity Leave Increase: देश में महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर करने के लिए सरकार निरंतर काम कर रही है. कार्यस्थल पर काम करने वाली महिलाओं को सुविधा प्रदान करने के लिए कई प्रकार के विशेष नियम बनाए गए हैं. जिनमें से एक Maternity Leave है. हम सभी इस बात से परिचित हैं कि महिलाओं को गर्भावस्था के समय ज्यादा care  और देखभाल की जरूरत होती है. ऐसे में जो महिलाएं घर से बाहर रहकर काम करती हैं उनको ज्यादा देखभाल की सुविधाएं नहीं मिल पाती है. इन्हीं को देखते हुए सरकार ने मैटरनिटी लीव  की व्यवस्था करी है. जिसके माध्यम से महिलाओं को गर्भावस्था के समय 6 महीने तक की छुट्टी मिल जाती है. सबसे अच्छी बात यह है कि employer  के द्वारा महिलाओं को इन छुट्टियों में हर महीने की सैलरी बराबर दी जाती है. जिससे उनको आर्थिक समस्या का सामना भी नहीं करना पड़ता. हाल ही में इस तरह की सूचनाएं आ रही हैं कि महिलाओं को मिलने वाला मेटरनिटी लीव 6 महीने से बढ़ाकर 9 महीने तक किया जा सकता है. इसकी पूरी जानकारी आपको नीचे प्रदान कर रहे हैं.

Maternity Leave Increase
Maternity Leave Increase: अब 9 महीने की मिलेगी Maternity Leave, जानें निति आयोग का क्या है फ़ैसला

Updates on Maternity Leave Increase 2023

हाल ही में नीति आयोग के सदस्य PK Paul द्वारा मेटरनिटी लीव के संबंध में एक बयान जारी किया गया है. जिसमें paul ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर के एंपलॉयर को इस बात पर दोबारा विचार करना चाहिए कि महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मिलने वाली मैटरनिटी लीव की अवधि को बढ़ाया जाए. उन्होंने कहा कि महिला कर्मचारियों के लिए इस अवधि को 6 महीने से बढ़ाकर 9 महीने कर देना चाहिए. आपको बता दें कि शुरुआत में केवल 12 हफ्ते के लिए महिलाओं को यह छुट्टी दी जाती थी. लेकिन बाद में संशोधन होते होते इस को बढ़ाकर 6 महीने कर दिया गया है. अभी फिलहाल सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में मैटरनिटी लीव के नाम पर 6 महीने की छुट्टी ली जा सकती है. जिसमें महिला कर्मचारियों को पूरे 6 महीने की सैलरी समय पर प्राप्त होगी. हालांकि उसके लिए कुछ आवश्यक शर्तें हैं जिन्हें पूरा करना होता है.

FLO ने करी टिप्पणी

इस बयान के जारी हो जाने के बाद भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ के महिला संगठन FLO  द्वारा  नीति आयोग के विचार पर टिप्पणी की गई है. संगठन ने कहा है कि यह एक अच्छा कदम है. इसके लिए उन्होंने अपनी यह राय भी रखी है कि नीति आयोग को FLO  के साथ मिलकर इस सुझाव पर काम करना चाहिए और मैटरनिटी लीव की अवधि को 6 महीने से बढ़ाकर 9 महीने करने पर कानून बनाना चाहिए.  आपको बता दें कि paul ने इसके साथ ही प्राइवेट सेक्टर को यह भी सलाह दी है कि वह ज्यादा से ज्यादा चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूशन खोलें. ताकि प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाली महिलाएं अपने बच्चों की परवरिश इन चाइल्ड केयर सेंटर में करवा सकें. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि प्राइवेट सेक्टर नीति आयोग के साथ मिलकर इन समाज सेवा के काम को आगे बढ़ा सकते हैं. साथ में बुजुर्गों के लिए भी कुछ इसी प्रकार के स्टेशन खोल सकते हैं. जिससे आने वाले समय में एक बड़ी संख्या में भारत के नागरिक लाभान्वित हो पाएंगे. इस बयान के अंदर उन्होंने केयर इकोनामी को बढ़ावा देने के लिए भी अपनी इच्छा जाहिर करी. जिससे चाइल्ड केयर सेंटर और बुजुर्गों की सेवा करने वाले संस्थानों में एक अच्छे और प्रतिभावान केयर टेकर का चयन किया जा सके. जो इन्हें एक बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने में सहायता करें.

Maternity Leave in India

भारत में सबसे पहले 1961 में Indian Maternity Benefit Act लागू किया गया जिसके अंदर महिलाओं को गर्भावस्था  के समय कुछ आवश्यक और बुनियादी लाभ पहुंचाने के लिए कंपनियों को हिदायत दी गई. इसके साथ ही मेटरनिटी लीव को 12 हफ्तों के लिए शुरू किया. बाद में इसे संशोधित करके 26 हफ्तों में बदल गया गया. यानी 6 महीने के लिए मेटरनिटी लीव ली जा सकती है. हाल ही में 2017 में कानून को और ज्यादा लचीला बनाया गया है. संशोधन करने के बाद अब महिलाएं यदि मेटरनिटी लीव से ज्यादा छुट्टियां चाहती हैं तो, कंपनी उन्हें work from home प्रदान कर सकती है. इसके अतिरिक्त भुगतान के लिए भी इस संशोधन में कुछ नियम बदले गए हैं. इस प्रकार लगातार सरकार द्वारा महिलाओं को सशक्त करने के लिए प्रयास किया जा रहा है. जिसमें उन्हें इन छुट्टियों के बदले बराबर सैलरी दी जाती है. आपको बता दें कि यदि कोई महिला एक कंपनी में पिछले लगातार 12 महीनों में 80 दिनों तक रेगुलर नौकरी कर रही है. इसके बाद ही उन्हें मेटरनिटी लीव के लिए एलिजिबल माना जाएगा. जिसके बाद आप इस लीव का उपयोग करके अपने बच्चों की देखभाल कर सकती है.

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