Good News: सरकार की जिम्मेदारी बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करना है. अलग-अलग भौगोलिक स्थिति के कारण छात्रों को विद्यालय तक पहुंचने में समस्याएं आती है. एक ऐसा छात्र जो पहाड़ी क्षेत्र में रहता है उसे मैदानी क्षेत्र में रहने वाले बच्चे के मुकाबले में अपने विद्यालय पहुंचने के लिए ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ता है. इसी कारण अधिकतर पहाड़ी क्षेत्रों में बच्चे विद्यालयों से नहीं मिल पा रहे हैं. इस समस्या को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने छात्रों के लाभ के लिए एक नया फैसला लिया है. हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने यह घोषणा करी है कि सरकार पहाड़ी क्षेत्रों के छात्रों को विद्यालय जाने के लिए प्रतिदिन ₹22 अधिकतम किराया प्रदान करेगी. अगर आप भी उत्तराखंड राज्य में रहते हैं तो यह लेख आपके लिए भी काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है. यह बताएंगे कि किन किन छात्रों को सरकार हर दिन स्कूल जाने का किराया देगी. ऐसे में आप यह लेख पूरा पढ़े ताकि आपको भी इस योजना का लाभ मिल पाए.
स्कूल जाने के लिए रोज ₹22 मिलेंगे
उत्तराखंड राज्य पहाड़ी और मैदानी दोनों ही भौगोलिक विशेषताओं को अपने अंदर समाया हुआ है. ऐसे में सरकार की जिम्मेदारी थोड़ी ज्यादा बढ़ जाती है. पहाड़ी क्षेत्रों के बच्चों को स्कूल तक जोड़ने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है. अब राज्य के हर बच्चे को रोज ₹22 भत्ता स्कूल जाने के लिए दिया जाएगा. दरअसल यह है रकम स्कूल जाने के किराए के रूप में दी जाएगी. जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में होने वाले बच्चे दूरदराज स्थित अपने स्कूल तक आसानी से जा सके. हालांकि जो बच्चे मैदानी क्षेत्रों में रहते हैं उन्हें सरकार 18 से ₹20 प्रतिदिन स्कूल जाने का किराया दे रही है. ऐसा इसलिए हो रहा है ताकि दूर दराज़ स्थित अपने विद्यालयों तक बच्चे रोज आना जाना कर ले. और इसके लिए उन्हें कोई आर्थिक समस्या का भी सामना ना करना पड़े.
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इन कलस्टर स्कूलों के बच्चों को मिलेगा लाभ
सरकार ने राज्य में विभिन्न कलस्टर स्कूलों को बनाने का निर्णय लिया है. इस योजना को कई चरणों में पूरा किया जाएगा. जिसके पहले चरण में कुल 1238 कलस्टर स्कूल बनाए जाएंगे. इसमें 559 माध्यमिक विद्यालय बनाए जाएंगे, जबकि 76 विद्यालय पूर्व माध्यमिक स्तर पर बनाए जा रहे हैं. इसके साथ ही 603 ऐसे विद्यालय बनाए जा रहे हैं जो प्राथमिक स्तर पर कलस्टर विद्यालय होंगे. इन सभी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों को सरकार इस योजना का लाभ देगी. जिससे दूरदराज स्थित यह विद्यालय आबाद हो सके और राज्य के हर कोने से बच्चे इन विद्यालयों में पढ़ने के लिए आ सके.
हर जिले में एक कमेटी गठित की जाएगी
आपको बता दें कि सरकार छात्रों को रोज आने जाने का किराया प्रत्यक्ष रूप से प्रदान नहीं करेगी. बल्कि सरकार प्रत्येक छात्र के लिए रोज अधिकतम ₹22 खर्च करेगी. इसके लिए प्रत्येक जिला अध्यक्ष के द्वारा एक समिति का गठन किया जाएगा. जिसमें बहुत सारी अथॉरिटीज शामिल होंगी जैसे परिवहन विभाग, लोक निर्माण विभाग, जिला शिक्षा अधिकारी और पुलिस अधीक्षक शामिल होंगे. इसके अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर भी और समितियां गठित की जाएंगी. इनका उद्देश्य यह देखना है कि उनके जिला में कितने कलेक्टर स्कूल है और उन में कितने विद्यार्थी पढ़ने आते हैं. साथ ही यह विद्यार्थी किन-किन क्षेत्रों से इन विद्यालयों में पढ़ने आते हैं. इसके बाद स्कूल प्रशासन के साथ मिलकर एक ऐसी बस सुविधा, टैक्सी सुविधा, अथवा यातायात के अन्य दूसरे संसाधनों का प्रबंध किया जाएगा. जिससे एक रूट में आने वाले सभी छात्र एक साथ विद्यालय इस यातायात के माध्यम से आ सके.
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आवासीय विद्यालय बनाने की भी शुरुआत कर रही है
कुछ पहाड़ी क्षेत्र बहुत ही दुर्गम क्षेत्रों में स्थित होते हैं. जहां पर यातायात के साधनों के माध्यम से भी पहुंचना मुश्किल है. यहां केवल पैदल चलकर ही जाया जा सकता है. लेकिन छोटे बच्चों के लिए रोज ऐसे दुर्गम क्षेत्रों पर आना जाना बहुत ज्यादा दुविधा पूर्ण है. ऐसे में सरकार इन क्षेत्रों में उचित शिक्षा पहुंचाने के लिए हर जिले में अधिकतम 7 आवासीय विद्यालय बनाने की योजना बना रही है. इन आवासीय विद्यालयों में छात्र ना केवल पढ़ाई कर सकेंगे बल्कि उन्हें रहने के लिए भी सुविधा दी जाएगी. छात्रों के साथ-साथ इन आवासीय विद्यालयों में उनके शिक्षक भी उन्हीं के साथ रहेंगे. किस प्रकार hostel की तरह ही इन विद्यालयों में शिक्षक और छात्र साथ में रहकर शिक्षण करेंगे. इस प्रकार ऐसे छात्र जो बहुत ही दुर्गम क्षेत्रों पर रहते हैं. जहां से रोज आना जाना बहुत मुश्किल है. वह सभी छात्र इन आवासीय विद्यालयों में एडमिशन ले पाएंगे. जिससे उनकी शैक्षिक स्थिति और ज्यादा बेहतर होगी.