Sawan 2023: सावन महत्‍व, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि

जैसा कि हम सब जानते हैं जल्द ही सावन का महीना (Sawan 2023) शुरू होने वाला है । इस बार श्रावणमास एक नहीं बल्कि लगातार दो महीने चलने वाला है तो इस साल का सावन का महीना काफी खास माना जा रहा है । अधिकमास के चलते इस साल सावन माह में लगातार आठ सोमवार आएंगे । इस बार सावन मास (Sawan Month) सोमवार दुगनी संख्या में होने की वजह से व्रत का फल भी लोगों को दुगना मिलेगा ।

Sawan

Sawan 2023: श्रावण मास का महत्व

 शास्त्रों में  श्रावण मास को अद्वितीय माह माना जाता है । इसके पीछे 5 पौराणिक कथाएं बताई जाती है ।

  • कहा जाता है कि मार्कंडेय ऋषि के पुत्र मार्कंडेय ने लंबी आयु के लिए सावन के माह में ही तप करके शिवजी को प्रसन्न किया था ।
  • दूसरी कहानी मानी जाती है कि भगवान शिव सावन के महीने में पृथ्वी पर अवतरित हुए थे और पृथ्वी पर उनका जलाभिषेक किया गया था इसीलिए श्रावण का महीना भगवान शिव का धरती पर आने का महीना माना जाता है ।
  • इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि समुद्र मंथन श्रावण के महीने में किया गया था और जो  विष समुद्र मंथन के समय निकला था उसे भगवान शिव ने पी लिया था और पूरी सृष्टि रक्षा की थी इसीलिए विष के प्रभाव को कम करने के लिए देवी-देवताओं ने उन्हें जल चढ़ाया था इसलिए सावन के महीने में भोले बाबा को जल चढ़ाने की महिमा कही जाती है ।
  • शिव पुराण में भी शिवजी को जल चढ़ाने का वर्णन किया गया है शिव जी का जल से अभिषेक करना काफी खास माना जाता है । कहा जाता है कि इससे शिजी जल्दी प्रसन्न होते हैं ।
  • इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि श्रावण  में विष्णु भगवान चीरनिद्रा में चले जाते हैं सावन के ठीक पहले देवशयनी एकादशी आती है जिस दिन माना जाता है कि विष्णु भगवान सो जाते हैं।  विष्णु के सोने के पश्चात सारा उत्तरदायित्व भगवान शिव उठा लेते हैं इसीलिए श्रावण के महीने की काफी महत्ता मानी जाती है ।

सावन (Sawan) माह की महत्वपूर्ण तिथियाँ

इस वर्ष अधिकमास के कारण सावन का महीना 58 दिनों का रहेगा। सावन महीने की शुरुआत के साथ ही कई व्रत और त्योहार भी शुरू हो जाते हैं। सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू होगा और 31 अगस्त तक रहेगा. इस दौरान कई त्यौहार मनाये जायेंगे। 6 जुलाई को संकष्टी चतुर्थी, 13 जुलाई को कामिका एकादशी, 15 जुलाई को मासिक शिवरात्रि, 17 जुलाई को श्रावण मास की अमावस्या, 19 अगस्त को हरियाली तीज, 21 अगस्त को नाग पंचमी, 30 अगस्त को रक्षा बंधन मनाया जाएगा.

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Sawan somvar 2023: कुंवारी कन्याओं को मिलता है मनचाहा वर

सावन के महीने में माना जाता है कि कुंवारी कन्या यदि सोमवार के व्रत करे तो उन्हें मनचाहा पति प्राप्त होता है । इसके पीछे की कहानी इस प्रकार बताई जाती है कि पर्वतराज हिमालय की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए श्रावण महीने में ही कठोर तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद दिया था और उनसे ब्याह रचाया था।  इसलिए माना जाता है कि सावन के महीने में कुंवारी कन्या यदि शिवजी की उपासना कर लेती हैं तो उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है ।

श्रावण में आते शिव जी जाते हैं ससुराल

इसके पीछे एक और कहानी मानी जाती है कि भगवान शिव श्रावण के महीने में धरती पर आकर अपने ससुराल जाते हैं और ससुराल में उनका स्वागत रुद्राभिषेक और जलाभिषेक द्वारा किया जाता है । इसीलिए श्रावण के मास में भगवान शिव पर जल और दूध चढ़ाने की महत्ता मानी जाती है।

भक्तों को मिलेगा अधिकमास का अधिक लाभ

 इस साल सारे शिव भक्तों को श्रावण का महीने का दुगना लाभ प्राप्त होगा क्योंकि इस साल साल में 4 श्रावण सोमवार नहीं बल्कि 8 सावन सोमवार आने वाले हैं।  माना जा रहा है कि इस साल का श्रावण भक्तों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध होगा । वह सभी भक्तों जो सोमवार के दिन शिवजी पर जलाभिषेक करेंगे और शिवजी की उपासना करेंगे उन्हें सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी तथा उनकी मनोकामना शीघ्र ही पूर्ण होगी।

 बता दे इस साल सावन मास 4 जुलाई को आरंभ हो रहा है और 31 अगस्त को समाप्त हो रहा है। सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई के दिन आएगा ।

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इस साल कुल 8 श्रावण सोमवार, कुल 9 मंगला गौरी व्रत

सभी भक्तजन जो श्रावण सोमवार का व्रत रख कर पूजा अर्चना करते हैं इस साल भगवान की पूजा अर्चना के लिए 8 सोमवार व्रत रख सकते हैं। दुगुनी सँख्या में सोमवार की वजह से भक्तों को फायदा भी दुगना मिलेगा और माना जा रहा है कि इस साल का सावन सोमवार काफी लाभदायक सिद्ध होगा।

पूजा का शुभ मुहूर्त

सावन के सोमवार को व्रतधारी सुबह शिवलिंग पर जलाभिषेक कर व्रत की शुरुआत करते हैं और फिर पूरे दिन उपवास करते हैं। शाम के समय प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा का महत्व सबसे अधिक माना जाता है। सावन के पहले सोमवार को शाम की पूजा का शुभ समय शाम 5 बजकर 38 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक है. मान्यता है कि शाम के समय रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव साधक की सभी परेशानियां दूर कर देते हैं।

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