Stay On Caste-Based Survey In Bihar: बिहार में जातिगत जनगणना पर रोक

Stay On Caste-Based Survey In Bihar: बीते कुछ दिनों से बिहार राज्य में जाति आधारित जनगणना चल रही थी. जिस पर Patna High Court ने 4 मई 2023 को रोक (Stay On Caste-Based Survey In Bihar) लगा दी है. इसके बाद से राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही इस जनगणना पर कई प्रकार के प्रश्न विपक्ष और मीडिया द्वारा उठाए जा रहे हैं. हालांकि अभी Patna High court (on Bihar Census) ने इस पर अपना अंतिम फैसला नहीं लिया है. जिस पर 9 मई 2023 को अगली सुनवाई की जाएगी.

इसके बाद ही यह बात साफ हो पाएगी कि भविष्य में बिहार राज्य सरकार जाति आधारित जनगणना को आगे चला पाएगी या नहीं. हालांकि ऐसे बहुत सारे विशेषज्ञ हैं जिन्होंने पहले से ही सरकार की इस जनगणना पर संवैधानिक सवाल उठाए हैं. जिनका जवाब देना सरकार के लिए थोड़ा मुश्किल है. आज हमने आपके लिए कुछ ऐसा ही विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए सवालों की सूची तैयार की है, जिनका जवाब बिहार सरकार को पटना हाईकोर्ट में 9 मई 2023 को देना पड़ेगा. इसलिए आप हमारा यह लेख “Stay On Caste-Based Survey In Bihar” अंत तक पूरा पढ़ें जिससे आपको समस्या की विस्तार से जानकारी प्राप्त हो जाए.

Stay On Caste-Based Survey In Bihar

Bihar Census News 2023

बिहार में राज्य सरकार जनगणना (Caste-Based Survey In Bihar) करवा रही है. जिसके चलते कई दिनों से बिहार सुर्खियों में बना हुआ है. लेकिन इस जाति आधारित जनगणना पर विपक्ष द्वारा है सही सवाल उठाए जा रहे थे. जिस पर पटना हाई कोर्ट तक बात पहुंची. इसके बाद तुरंत कार्रवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने 4 मई 2023 से बिहार सरकार द्वारा संचालित इस जनगणना को रुकवा (Stay On Caste-Based Survey In Bihar) दिया गया.

हालांकि अगली सुनवाई के लिए पटना हाईकोर्ट ने 3 जुलाई 2023 की डेट दी. लेकिन राज्य सरकार द्वारा की जाने वाली विशेष अपील के बाद तुरंत सुनवाई के लिए पटना हाई कोर्ट में सुनवाई की अगली तिथि 9 मई 2023 कर दी है. पटना हाईकोर्ट ने इस जनगणना को रोकने के लिए अपना फैसला कई पैराग्राफ के अंदर सुनाया. जिसका पैराग्राफ नंबर 21 से लेकर 31 तक बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है. इसमें ऐसे बहुत सारे संवैधानिक तर्क दिए गए हैं जिनके आधार पर राज्य सरकार इस प्रकार के जनगणना को नहीं करा सकते.

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Stay On Caste-Based Survey In Bihar: यह जनगणना है या सर्वे?

बिहार सरकार इसे एक सर्वे (Bihar Caste-Based Survey ) के रूप में करा रही है. जिसमें सभी प्रकार की जातियों का आंकड़ा राज्य सरकार के पास इकट्ठा करना उद्देश्य रखा गया है. ताकि भविष्य में विभिन्न वर्गों को उनके अनुसार ही लाभ प्रदान किया जा सके. लेकिन याचिकाकर्ताओं ने इसे एक जनगणना के रूप में परिभाषित किया है.

यदि यह एक जनगणना (Bihar Census) है तो आपको बता दें कि राज्य सरकार के बाद जनगणना करने का अधिकार नहीं है. जनगणना का अधिकार केवल संसद के पास भी होता है जो कि केंद्रीय स्तर पर काम करती है. परंतु राज्य सरकार द्वारा इसे एक सर्वे के रूप में कराया जा रहा है. जिससे इस बहस को काफी आगे तक ले जाए जाने की उम्मीद है.

क्या सरकार केवल जाति जानना चाहती है?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस प्रकार का किस प्रकार के सर्वे से सरकार क्या करना चाहती है? क्या जाति का पता लगाने के लिए इस प्रकार के चरणों की जा रही हैं? दरअसल सरकार के पास पहले से ही नागरिकों के जाकर से आधारित आंकड़े उपलब्ध है. विभिन्न योजनाओं और नौकरी के अंतर्गत आयोजन करते समय युवा अपनी जाति का चयन करते हैं. इसके अतिरिक्त अन्य कल्याणकारी योजनाओं में भी आयोजन करते समय नागरिक अपनी जाति का आंकड़ा सरकार तक पहुंचाते हैं.

इस प्रकार कोर्ट के अनुसार सरकार के पास जातियों से संबंधित आंकड़े उपलब्ध है. ऐसे में केवल जातियों को जानने के लिए इतना पैसा सरकार क्यों खर्च कर रही है. जिस पर सरकार का यह जवाब है कि भविष्य में और ज्यादा कल्याणकारी योजनाएं (Govt Schemes 2023) बनाने के लिए इस प्रकार का सर्वे किया जा रहा है. हालांकि इसी प्रश्न पर सरकार से सवाल जवाब अगली सुनवाई में यानी 9 मई 2023 को भी पटना हाईकोर्ट में पूछे जाएंगे.

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Court ने कहा कि Data को सुरक्षित रखा जाए

Stay On Bihar Caste-Based Survey: 4 मई 2023 से बिहार में जाति आधारित इस प्रकार का सर्वे नहीं हो रहा है. लेकिन न्यायालय ने सरकार को यह हिदायत दी है कि अगली सुनवाई होने तक और जब तक यह केस समाप्त नहीं हो जाता तब तक सरकार की यह जिम्मेदारी है कि इस आंकड़े को अपने पास रखें.

सरकार नागरिकों के इस Data को किसी के साथ भी शेयर ना करें. जब पटना हाईकोर्ट में इस संबंध में अपना अंतिम फैसला सुना दिया जाएगा इसके बाद ही कोर्ट यह तय करेगा कि नागरिकों के इस आंकड़े का क्या करना है. तब तक के लिए यह आंकड़ा सरकार के पास सुरक्षित रखा होना चाहिए. 

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