EPS Pension में कितनी हुई बढ़त, जानें कोर्ट का आदेश

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eps pension update: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा प्रत्येक नौकरीपेशा व्यक्ति को रिटायरमेंट के पश्चात कुछ रकम हर महीने पेंशन के रूप में दी जाती है. यह पेंशन सरकारी विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों के साथ-साथ प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों को भी मिलती है. हालांकि इसके लिए EPFO द्वारा कुछ नियम और शर्तें निर्धारित किए जाते हैं. इसके साथ ही कर्मचारियों को हर महीने अपनी सैलरी में से 12% हिस्सा EPF अकाउंट में जमा करना होता है. जिसके आधार पर रिटायरमेंट के पश्चात EPS योजना के अंतर्गत कर्मचारियों को पेंशन मिलती है.

लेकिन हाल ही में EPFO द्वारा की जा रही गतिविधियों से यह आभास हो रहा है कि कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन में इजाफा हो सकता है. अगर आप भी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के अंतर्गत निवेश करते हैं और रिटायरमेंट के पश्चात पेंशन प्राप्त कर रहे हैं. तो आपके लिए यह लेख बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है.

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EPFO New Update for EPS Pension 2023 

आपको बता दें कि अभी तक कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा जारी किए गए नियमों के अनुसार कर्मचारियों को जो पेंशन प्राप्त होती है उसके लिए अधिकतम सैलरी ₹15000 निर्धारित कर दी गई है. यानी कोई ऐसा कर्मचारी जो ₹15000 महीना तनखा पर काम करता था. जब वह रिटायर हो जाएगा तो उसे इसी ₹15000 सैलरी के आधार पर EPS Pension प्राप्त होगी. लेकिन जब कोई ऐसा व्यक्ति जिसकी सैलरी रिटायरमेंट के समय 15,000 से ज्यादा थी यानी 20000 या ₹25000 थी, eps योजना के अंतर्गत पेंशन प्राप्त करेगा तब भी उसके लिए अधिकतम सैलरी की गणना ₹15000 की जाएगी. 

यानी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा सैलरी की अधिकतम सीमा ₹15000 चल रही है. ऐसे में कई सारे संगठनों ने इसका विरोध किया है और इस मामले में न्यायालय तक पहुंच चुके हैं. कर्मचारियों की मांग है कि EPFO द्वारा अधिकतम सैलरी की राशि को ₹15000 से बढ़ाकर ₹20000 कर देना चाहिए. ताकि रिटायरमेंट के समय मिलने वाली पेंशन में भी बढ़ोतरी हो जाए.

EPS Pension पर न्यायालय का फैसला

सर्वोच्च न्यायालय में कर्मचारियों और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के बीच मुकदमा चल रहा है. जहां कर्मचारियों ने यह मांग करी है कि रिटायरमेंट के समय अधिकतम पेंशन की सीमा को ₹15000 से बढ़ाकर ₹20000 कर देना चाहिए. जबकि अपनी याचिका में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने सुप्रीम कोर्ट से यह मांग करी थी कि कर्मचारियों को EPS Pension के अंतर्गत आने वाली पेंशन के लिए ₹15000 की राशि तक ही सीमित रखना चाहिए. आपको बता दें कि EPFO कर्मचारियों द्वारा अधिकतम राशि बढ़ाकर ₹20000 करने की मांग की खिलाफ है.

लेकिन कर्मचारियों के लिए राहत की बात यह है कि हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने EPFO द्वारा पेंशन की राशि को सीमित रखने की याचिका को खारिज कर दिया गया है. इसके बाद से कर्मचारियों में इस बात की उम्मीद है कि न्यायालय द्वारा कर्मचारियों के हक में फैसला किया जाएगा. तथा न्यायालय के आदेश पर EFPO को सैलरी की अधिकतम राशि ₹20000 तक पहुंच आनी होगी.

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अधिकतम सैलरी से निर्धारित होती है EPS Pension

आपके मन में यह विचार चल रहा होगा कि आखिर EFPO द्वारा सैलरी की अधिकतम राशि को बढ़ाकर ₹20000 क्यों नहीं किया जा रहा. दरअसल आपको बता दें कि संगठन द्वारा जारी किए गए अधिकतम सैलरी के आंकड़ों के आधार पर ही कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन की रकम निर्धारित होती है. अभी संगठन द्वारा जो फार्मूला अपनाया जा रहा है उसके मुताबिक अधिकतम ₹15000 सैलरी होने पर कर्मचारियों को हर महीने पेंशन के रूप में ₹7500 की राशि दी जाती है.

लेकिन यदि अधिकतम सैलरी की लिमिट को बढ़ाकर ₹20000 कर दिया जाता है तो ऐसे में कर्मचारियों को पेंशन के रूप में हर महीने ₹8571 प्राप्त होंगे. इसीलिए अपने बजट में बढ़ोतरी न करने के कारण EPFO द्वारा अभी तक अधिकतम सैलरी ₹15000 निर्धारित कर रखी है. जबकि कई मेट्रो सिटी के अंदर तो शुरुआती सैलरी ₹15000 होती है. ऐसे में कर्मचारी इसे एक नाइंसाफी के तौर पर देखते हैं.

अपनी सैलरी में से हर महीने करनी पड़ती है कटौती

सरकारी अथवा प्राइवेट विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों को अपनी सैलरी में से हर महीने 12% भाग कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के खाते में जमा करना होता है. जिसमें से 8.33% सैलरी कर्मचारियों के EPS खाते में जमा हो जाती है. जो उन्हें रिटायरमेंट के बाद हर महीने पेंशन के रूप में मिलती है. इसके साथ ही जितनी रकम कर्मचारी EPF के खाते में जमा करते हैं उतनी रकम नियोक्ता द्वारा भी कर्मचारी के EFP खाते में जमा कराई जाती है. जिससे कर्मचारी के भविष्य के लिए सेविंग इकट्ठा होती रहती है. अंततः रिटायरमेंट के समय यह पैसा कर्मचारियों को हर महीने पेंशन के तौर पर दे दिया जाता है. 

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