ख़ुशख़बरी! OROP पर केंद्र को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने बकाया Pension की किस्तों में भुगतान की अनुमति दी

OROP: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को वन रैंक वन पेंशन (OROP) के तहत बकाया राशि किश्तों में भुगतान करने की अनुमति दे दी है. कोर्ट ने कहा है कि 28 फरवरी 2024 से पहले पूर्व सैनिकों की पूरी बकाया पेंशन का भुगतान किया जाए। यह बकाया राशि करीब 21 लाख पूर्व सैनिकों या उनके परिवारों को दी जानी है।

OROP-भुगतान कैसे किया जाएगा?

  • पारिवारिक पेंशन व वीरता पुरस्कार पाने वाले 6 लाख लोगों को 30 अप्रैल तक उनका पूरा बकाया दिया जाएगा।
  • 70 वर्ष से अधिक आयु के 4 लाख पेंशनभोगियों को 30 जून तक पेंशन की बकाया राशि मिलेगी।
  • शेष 11 लाख लोगों को 3 समान किश्तों में भुगतान किया जाएगा – 31 अगस्त, 30 नवंबर और 28 फरवरी को।
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पेंशन समीक्षा पर नहीं पड़ेगा असर

कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि इ भुगतान को आधार बनाकर सरकार हर 5 साल में पेंशन की समीक्षा और वृद्धि को टालने की कोशिश नहीं कर पाएगी. जुलाई 2024 के लिए तय की गई यह प्रक्रिया अपने समय पर होगी।

क्या बात है?

पूर्व सैनिकों के संगठन ने किस्तों में 28 हजार करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान करने की सरकार की अधिसूचना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने बताया कि 9 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 15 मार्च तक पूरी रकम चुकाने का आदेश दिया था. इस मामले में रक्षा मंत्रालय ने अलग से नोटिफिकेशन जारी कर सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना की है. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार से इस अधिसूचना को वापस लेने को कहा था।

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सरकार का जबाब

रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने इस साल पेंशन के लिए 1.2 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया है. लेकिन ओआरओपी योजना के बाद पेंशन में वृद्धि के कारण अब भी बड़ी राशि भुगतान के लिए लंबित है। 2019 से 2022 के बीच की अवधि की बकाया राशि 28 हजार करोड़ रुपये है। एक बार में इसका भुगतान करना मुश्किल है। वित्त मंत्रालय ने भी ऐसा नहीं करने की सलाह दी है। इसे किश्तों में किया जाएगा। पूरा भुगतान इसी वित्तीय वर्ष में कर दिया जाएगा। जजों ने उनकी गुजारिश मान ली।

सीलबंद लिफाफे पर नाराजगी जताई

सोमवार को सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के पुराने आदेश को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण सीलबंद लिफाफे में पेश किया गया है. जज को इसे देखकर आदेश पारित करना चाहिए। लेकिन प्रधान न्यायाधीश ने इसे मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि गोपनीयता की इस व्यवस्था को जारी नहीं रहने दिया जा सकता है. याचिकाकर्ता को यह भी पता होना चाहिए कि सरकार ने क्या जवाब दिया है.

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कोर्ट ने कहा कि वह इस रिपोर्ट को तभी स्वीकार करेगी जब खुद अटॉर्नी जनरल इसे पढ़ेंगे. इसके बाद वेंकटरमणि ने खुली अदालत में रक्षा मंत्रालय का जवाब पढ़कर सुनाया. उन्होंने वित्त मंत्रालय द्वारा व्यक्त की गई आपत्ति के बारे में जानकारी दी। इस पर कोर्ट ने भी माना कि इतनी बड़ी रकम एक बार में चुकाने से सरकार के दूसरे खर्चों में दिक्कत आ सकती है.

SSCNR

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